जन्मदिवस 24 सितंबर सन् 1861
भारत की बेटी भीकाजी गामा जी को उनके जन्म दिवस पर शत् शत् नमन।
उनका नारा था ।....
"आगे बढ़ो, हम भारत के लिए है और भारत भारतीयों के लिए है" के नारे के साथ आजादी के 40 वर्ष पूर्व विदेश में तिरंगा लहरा कर व भारत की स्वतंत्रता के लिए विदेश में माहौल बनाने वाली क्रांतिकारी जिनके हृदय में राष्ट्रवाद एवम कर्म में मानवता थी ।
ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध अदम्य साहस का परिचय देने वाली क्रांति प्रसूता दृढ़ विचारो वाली ओजस्वी लेखिका होने के साथ सहृदयी भी थी ।
आज पूरा देश भारत की बेटी के नाम से विश्व विख्यात वीरांगना भिकाजी कामा जी के जन्म दिवस मना रहा है ।
वीर सावरकर एवम् अन्य क्रांतिवीरो द्वारा निर्मित भारत का पहला ध्वज वन्देमातरम जिसको सर्वप्रथम विदेश की धरती पर फहराया था एवम् भीकाजी कामा जी ने विश्व को भारत के विषय में बताया था ।
हम देख चुकी हैं सब कुछ, पर अब करके कुछ दिखला देंगी,
निज धर्म-कर्म पर दृढ़ होकर, कुछ दुनिया को सिखला देंगी।
है क्या कर्त्तव्य हमारा अब, पहचान लिया हमने उसको,
अरमान यही अब दिल में है, लंदन का तख़्त हिला देंगी।
समझो न हमें कन्याएं हैं, हम दुष्टनाशिनी दुर्गा हैं,
कर सिंहनाद आज़ादी का, दुष्टो का दिल दहला देंगी।
राष्ट्रीय ध्वजा लेकर कर में, गाएंगी राष्ट्रगीत प्यारे,
दौड़ाकर बिजली भारत में, मुर्दे भी तुरत जिला देंगी।
बेड़ियां गुलामी की काटें, आज़ाद करेंगी भारत को,
उजड़े उपवन में भारत के, अब प्रेम-प्रसून खिला देंगी।
कंपित होगी धरती ही क्यों, ये आसमान हिल जाएगा,
कविरत्न वज्र की भांति तड़प, रिपुदल का दिल दहला देंगी।
भारत की बेटी को शत् शत् नमन