राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार आजादी के महानायक लौहपुरुष #सरदारपटेल जी के जन्म दिवस पर समर्पित करता हूँ राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तिया
मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का,
धनुष छोड़कर और गोत्र क्या होता रणधीरों का ?
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,
‘जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर, क्रूर ।।
जन्मदिवस 31 अक्टूबर 1875
भारत के राजनैतिक सम्प्रभुता को अखण्ड भारत का स्वरुप प्रदान करने वाले भारत माता के अमूल्य रत्न सरदार बल्लभभाई पटेल के जन्म दिन राष्ट्रीय एकता दिवस पर शत् शत् नमन।
वे भारत के राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में अक्षम शक्ति स्तम्भ थे। आत्म-त्याग, अनवरत सेवा तथा दूसरों को दिव्य-शक्ति की चेतना देने वाला उनका जीवन सदैव प्रकाश-स्तम्भ की अमर ज्योति रहेगा। वास्तव में वे आधुनिक भारत के शिल्पी थे। इस मितभाषी, अनुशासनप्रिय और कर्मठ व्यक्ति के कठोर व्यक्तित्व में लोकमान्य जैसा संगठन कुशलता, कौटिल्य जैसी राजनीतिक सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अटूट निष्ठा थी।
जिस अदम्य उत्साह, असीम शक्ति, मानवीय समस्याओं के प्रति व्यवहारिक दृष्टिकोण से उन्होंने निर्भय होकर नवजात गणराज्य की प्ररम्भिक कठिनाइयों का समाधान अद्भुत सफलता से किया, उसके कारण विश्व के राजनीतिक मानचित्र में उन्होंने अमिट स्थान बना लिया।
अंग्रेजो ने जिस प्रकार अफ़्रीकी देशो को बांटा है उनकी इसी निति को भारत में नाकाम किया था हमार लौह पुरुष जी ने ।
सरदार पटेल ने राष्ट्रिय एकीकरण कर एकता का एक ऐसा स्वरूप दिखाया जिसके बारे में उस वक्त कोई सोच भी नहीं सकता था ।
उनके ये वाक्य आज भी प्रत्येक भारत वासी के लिए अनुकरणीय है
“ जिनके पास शस्त्र चलाने का हुनर हैं लेकिन फिर भी वे उसे अपनी म्यान में रखते हैं असल में वे अहिंसा के पुजारी हैं ।कायर अगर अहिंसा की बात करे तो वह व्यर्थ हैं “
सरदार पटेल मन, वचन तथा कर्म से एक सच्चे देशभक्त थे आइये कर्मवीरों की भाँती आज उनके जन्म दिन राष्ट्रिय एकता दिवस पर भारत की आर्थिक आजादी राजनैतिक सम्प्रभुता व सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए हम सब मिलकर अपने मन वचन और कर्म से एक भारत श्रेष्ठ भारत के उनके सपनो को साकार करे ।
जाती पाती का बंधन तोड़ो जोड़ो भारत जोडो
कश्मीर हो या कन्याकुमारी भारत माता एक हमारी